Sunday, April 3, 2011

चराग-ओ-आफताब गूम, बड़ी हसीं रात थी


चराग-ओ-आफताब गूम, बड़ी हसीं रात थी
शबाब की नकाब गूम, बड़ी हसीं रात थी


मुझे पिला रहे थे वो की खुद ही शम्मा बुझ गयी
गिलास गूम शराब गूम, बड़ी हसीं रात थी


लिखा हुआ था जिस किताब में, की इश्क तो हराम है
हुई वही किताब गूम, बड़ी हसीं रात थी


लबो से लब जो मिल गए, लबो से लब जो सिल गए
सवाल गूम जवाब गूम, बड़ी हसीं रात थी

: सुदर्शन फकिर



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