Monday, April 4, 2011

डरते है चश्म-ओ-ज़ुल्फ़, निगाह-ओ-अदा से हम : दाग देहलवी


डरते है चश्म-ओ-ज़ुल्फ़, निगाह-ओ-अदा से हम
हर दम पनाह मांगते है हर बला से हम


माशूक जाए हूर मिले, माय बजाये आब
महशर में दो सवाल करेंगे खुदा से हम


गो हाल-इ-दिल छुपाते है पर इस को क्या करे
आते है खुद खुद नज़र इक मुबतला से हम


देखे तो पहले कौन मिटे उसकी राह में
बैठे है शर्त बाँध के हर नक्श-इ-पा से हम



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