Thursday, March 17, 2011


कवि: सुदर्शन फकिर

कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड दिया
और कुछ तल्खी-इ-हालात ने दिल तोड दिया
हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आयी बरसात तो बरसात ने दिल तोड दिया
दिल तो रोता रहे, और आख से आसू न बहे
इश्क की ऎसी रवायात ने दिल तोड दिया
वो मेरे है, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगे
ऐसे बेकार खयालात ने दिल तोड दिया
आप को प्यार है मुझ से के नही है मुझ से
जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड दिया

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