Saturday, July 9, 2011

मंजिल न दे चराग न दे हौसला तो दे : रना सहरी

मंजिल न दे चराग न दे हौसला तो दे
तिनके का ही सही तू मगर आसरा तो दे

मै ने ये कब कहा के मेरे हक में हो जवाब
लेकिन खामोश क्यू है टू कोई फैसला तो दे

बरसों मई तेरे नाम पे खाता रहा फरेब
मेरे खुदा कहा है टू अपना पता तो दे

बेशक मेरे नसीब पे रख अपना इख्तियार
लेकिन मेरे नसीब में क्या है बता तो दे

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